कुचेरा कस्‍बे से थोड़ा आगे मुख्‍य सड़क मार्ग अजमेर रोड़ पर बुटाटी गांव है। 500 वर्ष पहले इसी गांव में चतुरदासजी नाम के एक महात्‍मा हुए थे, जो सिद्ध पुरूष थे। आपने अपनी तपस्‍या के बल बुते कई मरीजों को रोग मुक्‍त किया था। सैकड़ों वर्ष पहले के आप के द्वारा दिए गये पर्चे जन- जन की जुबान पर है। आपने लकवे के मरीजों को ठीक किया यही कारण है कि आज आप की समाधि पर लकवे के मरीज सात फेरी लगाने पर एक दम ठीक हो जाते है। नागौर जिला व राजस्‍थान के ही नहीं पूरे भारत से लोग आपकी समाधि पर फेरी लगाने आते है समाधि स्‍थल पर विशाल मन्दिर बना हुआ है मरीजों के रहने के लिये अनेकों कमरों से युक्‍त धर्मशालऐं हैं, जो काफी लम्‍बें चौड़े मैदान को घेरे हुए है। यात्रियों को नि:शुल्‍क राशन मिलता है, जिसकी इच्‍छा हो ले तो खाना बनाये, सात दिन या 10‍ दिन ठहरें, बर्तन, विस्‍तर, कमरा, जलाने की लकड़ी, नहाने धोने की सारी व्‍यवस्‍था नि:शुल्‍क हैं। हर माह की सुदी 12 को यहां मेला लगता हैं। तथा वर्ष में वैसाख, भादवा तथा माघ के पूरे महीनों में विशेष मेला लगता है। जिसमें प्रशासन को भी सारी व्‍यवस्‍था हेतु चाक चौबन्‍द रहना पड़ता है। चतुरदासजी महाराज का ''बुटाटी'' धाम लकवे के मरीज ठीक होने की वजह से नागौर जिले में जन जन की जानकारी में है।